उठो 'मानव' निन्द्रा तोड़ो 'किरण' का तुमको आया पैग़ाम। उठो 'मानव' निन्द्रा तोड़ो 'किरण' का तुमको आया पैग़ाम।
चल पड़े थे उस सड़क पे, जहाँ पे सुकून था, चल पड़े थे उस सड़क पे, जहाँ पे सुकून था,
बहाने तो ऐसे करते हैं जैसे उन्होनें कुछ नहीं देखा। बहाने तो ऐसे करते हैं जैसे उन्होनें कुछ नहीं देखा।
तू मेरे ख़्यालो में बाहों में सांसों में हर रोज़ सुला तुम्हें मैं लाती हूं ख़्वाबों मे तू मेरे ख़्यालो में बाहों में सांसों में हर रोज़ सुला तुम्हें मैं लाती हूं ख़...